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झारखंड में क्यों डोभा बन रहा है मौत का कुआँ ?

डोभा बनाने में क्या गड़बड़ी हो गई ? द्वारा डा. नितीश प्रियदर्शी भूवैज्ञानिक झारखंड सरकार की महत्वकांक्षी योजना में शामिल डोभा निर्माण योजना ( तालाबनुमा छोटी संरचना ) अब राज्य के लोगों के लिए ‘ मौत का कुआं ’ साबित हो रही है। राज्य में जल संचयन और जल संरक्षण के उद्देश्य से राज्यभर में करीब 200 करोड़ रुपये खर्च कर 1.77 लाख से ज्यादा डोभे का निर्माण कराया गया है।   डोभा निर्माण से दो फायदे तो निश्चित है पहला तो ये की बरसात का पानी जो पहले बह के निकल जाता था इस डोभा के निर्माण से कुछ हद तक रुकेगा और दूसरा की भूमिगत जल रिचार्ज होगा जिसकी अभी बहुत जरुरत है। झारखंड में सरकार ने राज्यभर में बरसात का पानी जमा करने के लिए पिछले दो महीने में पौने दो लाख डोभे का निर्माण करवाया है। इसका उद्देश्य गांव का पानी गांव में तथा खेत का पानी खेत में जमा करने का है , लेकिन इस पहली बरसात में ही ये डोभे जानलेवा साबित हो रहे हैं। आखिर डोभा बनाने में क्या गड़बड़ी हो गई जिसके चलते   इतने ब...

भारत के भूमिगत जल में घुल रहा है रेडिओएक्टीव रेडोन का जहर I

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भारत के कई जगहों के भूमिगत जल में रेडिओएक्टीव रेडोन गैस के पाए जाने की वैज्ञानिक पुष्टि हुई है I द्वारा डा. नितीश प्रियदर्शी भारत के बैंगलोर, मध्य प्रदेश के किओलारी- नैनपुर, पंजाब के भटिंडा एवं गुरदासपुर, उत्तराखंड का गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश एवं दून घाटी के भूमिगत जल में रेडोन -२२२ के मिलने की वैज्ञानिक पुष्टि हुई है I बैंगलोर शहर के भूमिगत जल में रेडोन की मात्रा सहनशीलता की सीमा ११.८३ Bq/ लीटर से ऊपर है I कहीं कहीं ये सौ गुना अधिक है I यहाँ पर रेडोन की औसत मात्रा ५५.९६ Bq/ लीटर से ११८९.३० Bq/लीटर तक पाई गई है I बैंगलोर शहर में भूमिगत जल की तुलना में सतही जल में कम रेडोन पाए गए क्योंकि वायुमंडल के संपर्क में रहने के कारण यह गैस जल से वायुमंडल में आसानी से घुल जाती है I बैंगलोर शहर के कैंसर रोगियों में से इस वक्त 10.5 फीसदी लोग लंग कैंसर और करीब 13.5 फीसदी लोग स्टमक कैंसर से जूझ रहे हैं। जानकारों की मानें तो पानी में रेडोन की बढ़ती मात्रा का कारण जमीन में मौजूद ग्रेनाइट है। मध्य प्रदेश के मांडला के किओलारी-नैनपुर जगह के भूमिगत जल में रेडोन के साथ युरेनियम की भी मात्रा पाई गई है I युरेनिय...