झारखंड में क्यों डोभा बन रहा है मौत का कुआँ ?

डोभा बनाने में क्या गड़बड़ी हो गई ?
द्वारा
डा. नितीश प्रियदर्शी

भूवैज्ञानिक


झारखंड सरकार की महत्वकांक्षी योजना में शामिल डोभा निर्माण योजना (तालाबनुमा छोटी संरचना) अब राज्य के लोगों के लिए मौत का कुआंसाबित हो रही है। राज्य में जल संचयन और जल संरक्षण के उद्देश्य से राज्यभर में करीब 200 करोड़ रुपये खर्च कर 1.77 लाख से ज्यादा डोभे का निर्माण कराया गया है।  डोभा निर्माण से दो फायदे तो निश्चित है पहला तो ये की बरसात का पानी जो पहले बह के निकल जाता था इस डोभा के निर्माण से कुछ हद तक रुकेगा और दूसरा की भूमिगत जल रिचार्ज होगा जिसकी अभी बहुत जरुरत है।

झारखंड में सरकार ने राज्यभर में बरसात का पानी जमा करने के लिए पिछले दो महीने में पौने दो लाख डोभे का निर्माण करवाया है। इसका उद्देश्य गांव का पानी गांव में तथा खेत का पानी खेत में जमा करने का है, लेकिन इस पहली बरसात में ही ये डोभे जानलेवा साबित हो रहे हैं।
आखिर डोभा बनाने में क्या गड़बड़ी हो गई जिसके चलते  इतने बच्चों की मौत हो गई।  इसके कई कारण हो सकते हैं।
    . गलत स्थान का चयन जैसे डोभा का निर्माण आबादी से दूर होना चाहिए। 

.   . 30 फीट लंबाई, 30 फीट चौड़ाई तथा 10 फीट गहराई के बने डोभा सीढ़ीनुमा बनाए जाते हैं, लेकिन झारखंड में सीढ़ियों के बीच काफी अंतर रखा गया है, इस कारण सीढ़ी बनाने का मकसद खत्म हो जाता है। वैसे भी सीढ़ी की ढाल तीखा नहीं होना चाहिए। ढाल तीखा होने से डूबने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
   .झारखण्ड की मिट्टी ज्यादातर लेटराइट मिट्टी है।  जो पानी के अभाव में कड़ी हो जाती है तथा थोड़ी सी भी बारिश होने में पे ये नरम हो जाती है तथा फिसलन या मिट्टी के धसने की भी संभावना बढ़ जाती है।  अगर कोई भी इस तरह की मिट्टी पर निर्मित डोभा के करीब जायेगा तो फिसल के डूबने की संभावना बढ़ जाएगी। 
  . ज्यादातर डोभा के चारो तरफ घेराबंदी नहीं की गई है जो और भी खतरनाक है।  जरुरी है तार या झाड़ियों से घेराबंदी।  तथा लोगो को जागरूक करना की डोभा से दूर रहें तथा बच्चों को दूर रखें। इसके लिए वहाँ पे लाल झंडा या  खतरे का बोर्ड लगाना जरुरी है।
  . डोभा के किनारे घांस लगाने से फिसलन की संभावना कम हो जाती है।
   . डोभा का निर्माण अगर बारिश के पानी के बहाव के रास्ते  में बनाया जाय तो ये ज्यादा
       फायदेमंद होगा। 
   . डोभा के चारो तरफ उन पेड़ो को लगाया जाय  जिनकी वृद्धि तेज़ी से होती है तो ज्यादा फायदा
        होगा। 
   . तीव्र ढाल वाले स्थान  पे खासकर आबादी वाले जगह पर  डोभा बनाने से डूबने की संभावना
        ज्यादा हो जाती है।
९. डोभा ऐसा बने की उसकी ढाल धीमी हो तथा अगर कोई बच्चा या कोई जानवर गिरे
      तो उसके बाहर निकलने का रास्ता हो।
१०. जिसके जमीन पर डोभा बना हो उस व्यक्ति को जिम्मेवारी देना होगा तो वो डोभा के चारो तरफ घेरा लगाए।
११ जहाँ भी डोभा हो वहां दो या तीन बड़ा हवा भरा हुआ टायर ट्यूब हो ताकि अगर कोई गिरे तो उसे इस ट्यूब  के सहारे बचाया जा सके। अगर एक ट्यूब भी  पानी में तैरता रहे तो वो और भी फायदेमंद रहेगा खासकर बरसात में।
१२ डोभा की खुदाई में जो मिट्टी निकला हो उसको डोभा से कम से कम ४ फुट दूर ऊँचा करते हुए चारो तरफ डाला जाये ताकि वो एक रुकावट की तरह काम करे।
१३ झारखण्ड की मिट्टी कई जगह चिकनी तथा  फिसलन वाली है खासकर बरसात में। ऐसे में बच्चे खेल के दौरान फिसल कर डोभा के अंदर चले जाते हैं। इसपर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।
कई स्थानों पर जहां चिकनी मिट्टी है वहां भी डोभा का निर्माण करा दिया गया जबकि कई डोभा में मेढ़ भी नहीं बनाए गए हैं, ऐसे में बच्चे खेल के दौरान फिसल कर डोभा के अंदर चले जाते हैं।

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