भारत कि नदियों में प्रदुषण का बढ़ता बोझ।
द्वारा डा नितीश प्रियदर्शी भूवैज्ञानिक रांची पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के कारण भारत कि प्रमुख नदियों में प्रदूषण का बोझ बढ गया है। सिंचाई , पीने के लिए , बिजली तथा अन्य उद्देश्यों के लिए पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल से चुनौती काफी बढ गयी है। गंगा और यमुना सदियों से करोड़ों लोगों के लिए व उनसे कई गुना अधिक जल - जीवों , पशु - पक्षियों के लिए जीवनदायिनी भूमिका निभाती रही हैं पर हाल के सालों में इन नदियों पर अधिक चर्चा इनके प्रदूषण और इन पर मंडरा रहे अन्य खतरों के संदर्भ में हुई है। पिछले कुछ सालों में सरकारी , गैर - सरकारी स्तर पर इन नदियों की रक्षा के लिए कुछ प्रयास भी आरंभ हुए हैं। गंगा व यमुना एक्शन प्लान इस उद्देश्य के लिए ही बनाए गए। पर इसमें सीमित सफलता ही मिल पाई है। 11 वीं योजना के दस्तावेज ने मार्च से जून 2006 के आंकड़ों के आधार पर बताया है कि कन्नौज से इलाहाबाद तक अभी गंगा का पानी स्नान करने योग्य गुणवत्ता को भी ...